{ सात मंज़िला महल }
एक बादशाह ने, जिसके कोई औलाद नहीं थी, एक सात मंजिला महल बनवाया और अपनी सारी दौलत अलग-अलग मंज़िलों पर फैला दी। पहली मंज़िल पर कौड़ियाँ, दूसरी मंज़िल पर पैसे, तीसरी पर रुपये, चैथी मोहरें, पाँचवी पर मोती, छठी पर अच्छे-अच्छे हीरे-जवाहरात और सातवीं पर खुद बैठ गया। शहरवालों को ख़बर दे दी कि जिसको जो मिले ले जाये। लेकिन जो एक बार आये वह फिर दूसरी बार न आये। लोग दौड़कर आने लगे।
बहुत-से लोग तो पैसों कि गठरियाँ बाँधकर ले गये। जो उनसे ज़रा ज़्यादा समझदार थे, वे रुपयों की गठरियाँ बाँधकर घर ले गये। जो और आगे बढ़े, वे चाँदी ले गये। कुछ लोगों ने कहा कि नहीं, और आगे जाना चाहिए। वे मोहरें लेकर वापस आ गये। जो और आगे गये और हीरे-जवाहरात लेकर आ गये। एक व्यक्ति कहने लगा नहीं, मैं सबसे ऊपर पहुँचूँगा और देखूँगा वहा क्या है? वह जब ऊपर पहुँचा तो देखा कि वहाँ बादशाह ख़ुद बैठा हुआ है। राजा बैठा यह इंतजार कर रहा था कि क्या प्रजा में कोई ऐसा व्यक्ति है जो नीचे कर सब वस्तुओं को छोड़कर ऊपर उसके पास पहुँचेगा। बादशाह ने स्वागत किया और अपने सिर का ताज उताकर उसके सिर पर रख दिया और उसको बादशाह बना दिया।
दुर्भाग्यवश हर जीव के भाग्य में यह ज्ञान नहीं होता कि जो कर्म हम इस जन्म में करते हैं, उसी का फल हमें अगले जन्म में भुगतना पड़ता है। दुःख की बात है कि बहुत-से लोग अपने जीवन को व्यर्थ के कार्यों में गँवा देते हैं।
जो बेटे-बेटियों में उलझे रहते हैं, वे अपनी उम्र पैसे इकट्ठे करने में गुजार देते हैं। जो लोग थोड़े समझदार हैं, वे रुपये कमा लेते हैं। जो लोग नित्य नियम, नमाज़, रोजे़ आदि रखते हैं, वे चाँदी ले लेते हैं। जिन्होेंने नौ दरवाजे़ छोड़कर अंदर परदा खोला, वे आँखों से ऊपर चढ़े, आलमे-फ़ानी यानी मृत्युलोक को छोड़कर आलमे-रूहानी या सहस्रदल-कँवल में पहुँचे, उन्होंने मोहरें ले लीं। जो ब्रह्मा में पहुँचे, उन्होंने मोती ले लिए। जो पारब्रह्म में पहुँचे, उन्होंने हीरे-जवाहारत ले लिए। जिसने कहा कि नहीं मुझे धुर तक पहुँचना है, वह ऊपर गया तो आगे शहंशाह अकालपुरुष को बैठे देखा। अकालपुरुष ने उसको अपने साथ मिला लिया।
विचार करें, आपके अन्दर करोड़ों खंड-ब्रह्मांड हैं, करोड़ों ख़ुशियाँ हैं, सुख और शांति है। ख़ुद ख़ुदा अकालपुरुष आपके अन्दर है, मनुष्य-चोले का मक़सद उस तक पहुँचना है। हमें चाहिए कि जो कुछ बन सके, इसी जन्म मे कर लें।
कहने का मतलब है कि, तुम जीवित प्रभु का मंदिर हो।