** परोपकार **
एक बार की बात है, एक गाँव में एक औरत ने एक बच्चे को जन्म दिया और चल बसी। उसके बाद उस बच्चे का लालन-पालन गाँव के एक परिवार ने कियाऔर उसका नाम रामू रक्खा । जब रामू कुछ बड़ा हुआ तो उसके माँ बाप ने सोचा कि यह बड़ा हो कर हमारे साथ क्या करेगा हमारा ध्यान भी रक्खेगा या नहीं। तो उन्होंने रामू को घर से निकाल दिया।
रामू इधर-उधर भटकता हुआ एक जंगल में जाकर रहने लगा। उसने सोचा कि मालिक का भजन करना चाहिए यह सोचकर उसने चार रोटी बनाई और भजन पर बैठ गया। जैसे ही वह भजन से उठा तो देखा की रोटी गायब है, उसने सोचा की वह दोबारा रोटी बनाये गा तो भजन छूट जायेगा। वह भूखा ही भजन पर बैठ गया। अगले दिन फिर वही हुआ तीन दिन तक ऐसा होता रहा तो उसने सोचा की देखा जाये की रोटी को कोन ले जाता है। जब वह भजन पर बैठा तो उसने देखा की एक चूहा आकर रोटी ले जा रहा है। उसने कहा हे परमात्मा मै हमेशा तुम्हारा भजन करता हूँ, पर फिर भी जीवन में कभी भी सुख नहीं मिला ना ही माँ-बाप का सुख मिला मेरे भाग्य में ऐसा क्या लिखा हैं। तभी वह चूहा मनुष्य की आवाज में बोला यहा से तीन कोस दूर एक पहाड़ी एक महात्मा रहते है वह बहुत ज्ञानी हैं। तुम उसके पास जाओ वह तुम्हारे प्रश्न के उत्तर दे सकते है।
यह सुनकर रामू उस महात्मा से मिलने चल पड़ा रास्ते में एक नदी पड़ी वहा एक केवट नाव में बैठा हुआ रो रहा था। उसने केवट से पूछा की तुम क्यो रो रहे हो, केवट ने कहा की मै यह नाव चला कर जो भी कमाता हूँ, इससे में परिवार का पालन-पोषन नहीं होता। उस परमात्मा को पता नहीं क्या मंजूर है, पर तुम कहा जा रहे हो, उसने कहा की मैं पहाड़ी पर एक महात्मा जी से मिलने जा रहा हूँ। तो केवट ने कहा की आप मेरे बारे में भी पूछ कर आना।
उसने कहा की ठीक है, रामू नदी पार कर आगे बढ़ने लगा। रात होने लगी वहा पहाड़ी पर उसे एक कुटिया दिखी रामू वहा रूका वहा पर एक बुढ़िया और उसकी बेटी जो बहुत सुन्दर थी पर वह आँखों से अन्धी थी वह वहा रहती थी। बुढ़िया ने पूछा की तुम कहा जा रहे हो, तो उसने उन्हे महात्मा के बारे में बताया। तो बुढ़िया ने कहा की मेरा भी एक सवाल पूछ कर आना, की मै तो अब बूढ़ी हो गई हूँ, मेरे बाद मेरी इस अन्धी बेटी का क्या होगा।
उसने कहा की ठीक है और सुबह होने पर रामू आगे बढ़ा तो रास्ते में एक तलाब के किनारे उसे एक कछुआ मिला। कछुअे ने उससे पूछा कि तुम कहा जा रहे हो, तो उसने उसे महात्मा के बारे में बतला दिया, तब कछुऐ ने कहा कि मेरा भी एक सवाल पूछ कर आना की मेरा शरीर इतना कठोर है मुझे इससे मुक्ति कब मिले गी। उसने कहा ठीक है, रामू जब महात्मा से मिला और अपने आने का कारण बतलाया।
तब महात्मा ने कहा कि मैं तुम्हारे केवल तीन सवालो का जवाब ही दे सकता हूँ। अगर पूछना है तो पूछ लो तो रामू ने सोचा की तीन सवाल तो उन तीनो के है मेरे सवाल का क्या होगा। उसने सोचा की मैं उन तीनो का ही भला कर दू। तो उसने महात्मा के सामने पहला सवाल पूछा की रास्ते में मुझे एक कछुआ मिला उसने पूछा कि उसे मुक्ति कब मिले गी। महात्मा ने जवाब दिया की उससे कहना कि जब वह अपना कवच उतार देगा उसे मुक्ति मिल जायेगी।
तब उसने दूसरा सवाब पूछा की उस बुढ़िया की बेटी की आँखे कब ठीक होगी, तो महात्मा ने जवाब दिया कि जब उसकी बेटी की शादी हो जायेगी तो उसकी आँखे वापीस आ जायेगी।
तब उसने तीसरा सवाल पूछा की उस केवट के दिन कब ठीक होगे तो महात्मा ने जवाब दिया, जब वह राजा के यहा नोकरी करे गा।
वह तीनो सवालो का जवाब लेकर रामू वापीस लोट आया। रास्ते में उसको पहले कछुआ मिला उसने बताया की महात्मा ने उसे कहा है की जब वह अपना कछुआ उतार देगा तो उसे मुक्ति मिल जायेगी। कछुअे ने जैसे ही कवच उतारा वह सोने-चांदी में बदल गया।
रामू सब सोना-चांदी ले कर आगे बढ़ा आगे जाकर उसने बुढ़िया से बतलाया की महात्मा ने कहा की जब वह उस लड़की की शादी की हो जायेगी तो उसकी आँखे ठीक हो जायेगी। तब बुढ़िया ने कहा की तुम जैसा नेक इन्सान मुझे कहा मिलेगा उसने अपनी लड़की की शादी अपनी लड़की की शादी रामू के साथ कर दी।
रामू सारा सोना-चांदी और उस लड़की को लेकर आगे बढ़ा, आगे जा कर नदी के किनारे उसे वह केवट मिला तो उसने उसे बतलाया की महात्मा ने कहा की तुम राजा के यहा नौकरी करो तुम्हारी सारी परेशानीयां खत्म हो जायेगी। यह सुनकर वह केवट राजा के पास गया।केवट को देखकर राजा के मन में बैराग उत्पन हो गया। उसने उस केवट को सारा राजपाट देकर या़त्रा पर चला गया। अब केवट ने सोचा की मै यह सारा राजपाट कैसे सँभालूगा उसने रामू को बुला कर कहा कि मै ऐसा यह सारा राजपाट अकेला नहीं सम्भाल सकता इसलिए तुम इसे सम्भालो मैं तो बाहर से इसकी देखभाल करूगा।
भाव तो यह है कि परोपकार से बढ़ा कोई र्धम नहीं रामू ने अपने स्वालों को पीछे रखकर उनके तीनों के स्वालो को पहले पूछकर उनपर परोपकार किया।