वायु मुद्रा से स्वास्थ लाभ
वायु मुद्रा:-
नमस्कार मित्रो जैसा कि मैने अपने पहले चैपटर ( हस्त मुद्रा विज्ञान ) में बताया हैं की 20 तरह की मुद्राएँ जो हमारे शरीर के लिए उपयोगी है। उनमें सेे एक मुद्रा है वायु मुद्रा पांचो तत्वों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्रा है जो वायु तत्व को संतुलित करती है। शरीर में वायु का संतुलन बनाने, मन को एक ही जगह स्थिर रखने और शरीर को रोगों से बचाने के लिए वायु मुद्रा का अभ्यास किया जाता है। जब तक शुद्ध वायु शरीर को प्राप्त नहीं हो जाती तब तक हमारा शरीर रोगी रहता है। वायु मुद्रा को करने से शरीर में अत्यधिक व शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली वायु शरीर से बाहर निकल जाती है।
वायु तत्व का संतुलन:-
ज्योतिष के अनुसार हमारा अंगूठा मंगल ग्रह का प्रतीक है और तर्जनी अंगुली बृहस्पति का प्रतीक होता है। हमारा अंगूठा अग्नि तत्व का प्रतीक है और तर्जनी अंगुली वायु तत्व का प्रतीक है। तर्जनी अंगुली को अंगुठे के नीचे दबाने से यह क्रिया बनती है और वायु का संतुलन बनता है।
9 प्रकार की मुद्रा और उनके फायदे हिंदी में
जोड़ो के दर्द मे राहत:-
वायु तत्व कें बढ़ने से जोड़ो में सैनोवियल फ्लूड जो जोड़ो में लूब्रिकेट का काम करते हैं, की कमी के कारण पीठ में दर्द और हड्डियों के चटकने की आवाज आती है। वायु तत्व बढ़ जाने से शरीर में दर्द, सरवाईकल का दर्द, घुटनों का दर्द, जोड़ों का दर्द, एड़ी का दर्द जैसी समस्या पैदा हो जाती हैं।
रक्त संचार में बड़ोतरी:-
हमारे शरीर में यदी रक्त के संचार में गड़बड़ी हो जाती है, तो बहुत सारी समस्याएं जैसे अंगों का सुन्न होना, हाथों पैरों में सुजन, पैराों में कंपन आदी होने की संभावना होती है। यदि समय पर इस और ध्यान नहीें दिया जाता तो लकवा होने का डर बना रहता है। वायु मुद्रा के अभ्यास से रक्त संचार को संतुलित कर बिना दवाई के ठीक हुआ जा सकता है।
चक्रों जागरण में सहायक:-
वायु मुद्रा के रोजआना अभ्यास से सुषुमन्ना नाड़ी मे प्राण वायु का संचार होने लगता है जिससे चक्रों का जागरण होता है। वायु मुद्रा आप की कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने में भी सहायक हो सकती है।
वायु मुद्रा कैसे बनती हैं:-
तर्जनी अंगुली को मोडकर अंगूठे के मूल में स्थापित करने से एवं अंगूठे को तर्जनी अंगुली के ऊपर डालने से वायु-मुद्रा बनती है। शेष अंगुलियां सीधी रहनी चाहिए। वज्रासन में बैठकर भोजन के पश्चात 5 मिनट इस मुद्रा को करने से अपच एवं वायु विकार में लाभ होता है। 15 से 45 मिनट तक लगातार अवश्य करना चाहिए तुरन्त लाभ मिलता है।
वायु मुद्रा से होने वाले लाभ:-
1 :- सभी प्रकार के वात रोगों में लाभकारी है। कमर दर्द, गर्दन दर्द, गठियां, घुटनों का दर्द, एड़ी दर्द आदि में लाभ
मिलता है।
2 :- हाथ-पैरों का कम्पन, अंगो में सुन्न होना, अधरंग आदि रोगों में लाभकारी है।
3 :- असाध्य और चिरकालिक वायुरोगों में इसकेे साथ प्राण मुद्रा का प्रयोग करना चाहिए।
4 :- आँखों के अकारण झपकने में भी यह मुद्रा लाभ करती है।
5 :- इसे रोज करने में हिचकी में लाभ होता है।
6 :- इस मुद्रा को करने से वायु के किसी भी रोग से 24 घंटे के भीतर लाभ प्राप्त किया जी सकता है।
7 :- बस में यात्रा करते समय इस मुद्रा को करने से उल्टी की शिकायत नहीं रहती।
8 :- वायु मुद्रा करने से मन की चंचलता कम होती है, और मन एकाग्र होने लगता है।
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