{ एक आँखवाला खान }
एक आँखवाले खान का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। उसका पिता शराबी था और मोची का काम करता था। उसकी माँ वेश्या थी। एक रात जब उसका पिता शराबखाने से लौटा तो उसने खान को बंदगी करते देखा। उसे बंदगी करते देखकर वह गुस्से से इतना लाल-पीला हो गया कि उसने शराब की बोतल उसके माथे पर दे मारी जिससे खान एक आँख से अंधा हो गया। शराब और खून में लथपथ खान स्तब्ध-सा पड़ा था कि उसे परमात्मा की आवाज सुनायी दी, नौजवान खान ! डरो नहीं, क्योंकि तुम अपने अंदर मेरी आवाज सुनोगे; और तुम इतने सूझवान बन जाओगे कि अपनी एक आँख से ही लोगों के दिलों के अंदर झाँक सकोगे।
एक आँखवाला खान चलता-फिरता कथा-वाचक बन गया। उसमें इतना आकर्षण था कि जहाँ कहीं भी वह रुकता, एक विशाल भीड़ इकटठी हो जाती। कहा जाता है कि जब वह बोलता तो चिड़ियाँ चहचहाना बंद कर देती, पुष्प उसकी ओर झुक जाते और उसकी सुनहरी जिहृा से निकले प्रत्येक शब्द को ध्यान से सुनते।
उस शहर का बादशाह बूढ़ा हो चुका था। उसका कोई बेटा नहीं था और वह अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करना चहाता था। इस संबंध में उसने अपने शयनकक्ष में होनेवाली सभा में एक आँखवाले खान को भी बुलाया। सभा में सभी खास वजीर बुलाये गये थे और उन्हें यह मौका दिया गया कि वे बादशाह का उत्तासधिकारी बनने योग्यता के बारे में अपनी-अपनी कारगुजारी बयान करें। वजीर इस बात से बेखबर थे कि एक आँखवाले खान को उनके दिलों में झाँककर यह देखने के लिए कहा गया था कि उनके शब्दों में कितनी सच्चाई है।
सबसे पहले खजाना वजीर ने कहा, ’बादशाह सलमत! मैंने दस नये कर लगाये हैं और शाही खजाने के सोने-चाँदी को दुगुना कर दिया है।’
’
बहुत खूब’ राजा ने कहा, ’पर मुझे यह बताओ कि गरीब अभी तक गरीब क्यों हैं और भिखारी अभी भी भीख क्यों माँग रहे हैं ?
शायद अल्लाह को वही मंजूर है। खजाना वजीर ने जवाब दिया।
उसके बाद मुख्य काजी बोला, ’बादशाह सलामत ! मैंने सौ नये कानून बनाये हैं और मुल्क के कोने-कोने में कानूनी बंदोबस्त किया है।
’बहुत खूब’ राजा ने कहा, ’ पर मुझे यह बताओ की अभी भी गरीब आदमी जंजीरो में क्यों हैं और उनकी फरियाद क्यों नहीं सुनी जाती ?
’शायद अल्लाह को यही मंजूर है’ मुख्य काजी ने जवाब दिया।
अंत में बड़े मौलवी साहिब बोले, ’बादशाह सलामत! मैंने हजारों लोगों को मुसलमान बनाया है और मसजिदों को मोमिनों से भर दिया है।’
’बहुत खूब’ बादशाह ने कहा, ’पर मुझे यह बताओ कि गरीब लोग मसजिद में आकर नमाज क्यों नहीं पढ़ते और मौलवियों की नसीहतें सुनने के बजाय एक आँखवाले खान की कथाएँ सुनना पसंद करते हैं ?
यह सब शैतान का काम है। मौलवी साहिब ने जवाब दिया।
अंत में बादशाह ने एक आँखवाले खान की ओर नजर डाली और उन तीनों वजीरों की मरजी के खिलाफ उससे पूछा कि इन तीनों के राजा बनने के दावों के बारे में उसकी क्या राय है।
खान ने अपनी एक आँख बंद की और इन तीनों वजीरों के दिलों में झाँककर देखा और अपने अल्लाह की आवाज को सुना। फिर बड़े अदब से सिर झुकाकर जवाब दियाः
’मैं कहता हूँ कि हमारी रिआया अपने अंदर की खुदाई-दौलत से मालामाल होती है, न कि व्यापार और कर लगाने से। मैं कहता हूँ कि आपकी रिआया अल्लाह के इश्क के कानून से सुकून पाती है, न कि इन सिपाहियों के कोड़ों और जंजीरों से। मैं कहता हूँ कि आपकी रिआया अपन मस्तक में गूँज रही इलाही धुनों पर नाचती है, न कि मसजिदों में घुटने टेककर इबादत करने से।
ये शब्द सुनते ही तीनों वजीर खान को खामोश करने के लिए उसकी ओर लपके। बादशाह ने हाथ के इशारे से उन्हें रोका औैर कहा, ’उसे पूरी बात कह लेने दो। खान ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, ’मैं कहता हूँकि आपके राज्य में हर इंसान को, चाहे वह अमीर है या गरीब, आदमी है या औरत, मुसलमान है या यहूदी, यह अधिकार हे िकवह अल्लाह की आवाज को सुने, उसका दीदार करे और यह जाने कि अल्लाह उसे प्यार करता है। बादशाह सलामत! सच तो यह है कि इन वजीरों से कही ज्यादा अल्लाह आपकी रिआया से प्यार करता हैं।
एक छोटे दर्जे के घुमक्कड़ कथा-वाचक के मुँह से इस प्रकार की आलोचना सुनकर वजीर आग-बबूला हो उठे और खान को पीटने लगे।
’ठहरो’ बादशाह ने अपने बिस्तर से उठते हुए कड़कर कहा, ’खान ने सच कहा है और मैं उसे अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करता हूँ।
’किंतु हुजूर’, बड़े काजी ने अर्ज की, ’वह तो एक मोची का बेटा है और उसकी माँ एक आम वेश्या है।’
’बेशक वह ऐसा ही था, पर आज से वह मेरा बेटा है और कल वह तुम्हारा बादशाह होगा।’ बादशाह ने जवाब दिया।
इस प्रकार काना खान बादशाह बन गया। उस छोटे-से-छोटे दर्जे के आदमी में यह परिवर्तन इसलिए आया क्योंकि वह एक सूझवान व्यक्ति था। वह अंतर में प्रभु की आवाज को सुनता था उसकी एक ही आँख थी, पर उसका जीवन प्रकाश से परिपूर्ण था।