*मालिक तुम कहा हो *
एक मशहूर कहानी है कि कोई आदमी बड़ी श्रद्धा से प्रार्थना करता था, है मालिक! तुम कहां हो?वह हर रोज, हर घड़ी दिल से बार- बार यही प्रार्थना दोहराता था,”है मालिक तुम कहां हो?” शैतान ने जब देखा कि यह आदमी तो परमात्मा के प्रेम में मग्न हो रहा है तो उसने सोचा कि अब कुछ करना पड़ेगा। वह उस आदमी के पास गया और कहा,”अरे मुर्ख! इतने सालों से तुम यह बात कहते जा रहे हो,”है परमात्मा! तुम कहां हो?’ क्या कभी किसी ने तुम्हारी बात का जवाब दिया है?”
वह आदमी सोच में पड़ गया और उसे लगा कि सचमुच उसे कभी कोई जवाब नहीं मिला।निराश और दुःखी होकर उसने प्रार्थना करना ही बंद कर दिया। उसने सोचा कि प्रार्थना करने का क्या फायदा ? लेकिन प्रार्थना करने से उसे जो शन्ति मिलती उसके बिना वह दुःखी हो गया।तब परमात्मा ने उससे कहा “तुम यह बात क्यूं नहीं समझ पा रहे कि तुम्हारा यह पूछना कि ‘तुम कहां हो’, ही मेरा तुम्हारे अन्दर होने का सबूत है। दुसरे शब्दों में परमात्मा ने कहा, तुम कहां हो’ का ख्याल भी मैंने ही तुम्हारे अन्दर डाला है।”
इसी तरह क्या हम हम इस बात को समझते है कि रोजाना नियम से भजन सिमरन करना ही इस बात का साफ सबूत है कि परमात्मा हमें अपनी और खींच रहा है?