* बीबी शिब्बो का प्रेम *
हुजूर स्वामीजी महाराज के वक्त भी दो-चार प्रेमी बीबियाँ थी; उनमें से एक थी बीबी शिब्बो। एक बार वह स्नान करने लगी तो एक योगी आया। जब योगी ने गुरु-प्रेम का शब्द पढ़ा तो शिब्बो का अपने गुरु, स्वामीजी महाराज की और ध्यान लग गया। वह इतनी ध्यान-मग्न हो गई कि वस्त्र पहनना भी भूल गई, अपने गुरु ( स्वामीजी महाराज ) के प्रेम में मग्न वह नंगी ही घर से निकल पड़़ी। वह गलियों में से होती हुई स्वामीजी महाराज के पास जा पहुँची और वह उनके चरणों में गिर कर रोने लगी। स्वामीजी महाराज ने फरमाया, अरी पगली तू तो नंगी है, जा कपड़े पहन कर आ। जब वह दूसरी ओर कपड़े पहनने चली गई तो स्वामीजी महाराज ने हँस कर कहा, ’अच्छा कोई तो प्रेमी मिला।’ सतगुरु की दया-मेहर की खास बात यह भी है कि बीबी शिब्बो गलियों में से गुजरती हुई उनके पास आई तो रास्ते में किसी ने उसको नहीं देखा।
* प्रेम की लपट *
स्वामीजी महाराज को तुलसी साहिब से परमार्थ की रोशनी मिली है। तुलसी साहिब स्वामीजी महाराज के घर आया करते थे। एक बार जब वे उनके घर तो उनकी प्रेमी सत्संगी महिलाओं को भी पता लगा। वे बड़े प्रेम से जिस हालत में थीं, जल्दी-जल्दी चली आई। उस जमाने में ऐसी मलमल नहीं थी, उनके खददर के कपड़े पसीने से भीगे हुए थे।
जब इन महिलाओं ने आकर माथा टेका तो तुलसी साहिब के एक सेवक गिरधारीलाल ने उनसे कहा, बीबियों, पीछे हट कर बैठो, तूम्हारे कपड़ो से बदबू आती है।
तुलसी साहिब ने कहा, गिरधारी ! तू इनके प्रेम की खुशबू की खबर नहीं। यह क्या खयाल ले कर आई हैं, तू नहीं जानता। इनसे तुझे बदबू आती है लेकिन मुझे बदबू नहीं आती।