-:भेड़ो में शेर का बच्चा :-
एक बार एक शेरनी बच्चे को जन्म देकर शिकार को चली गयी। पीछे से भेड़ चराने वाला पाली आ गया। उसने बच्चे को उठा लिया और भेड़ का दूध पिला-पिलाकर उसे पाल लिया। अब वह बच्चा बड़ा हो गया।
इत्तफाक से एक शेर वहाँ आ गया। उसने देखा कि एक शेर का बच्चा भेड़ो के साथ घूम रहा है। वह उस शेर के बच्चे के पास गया और कहा कि तू तो शेर है। बच्चे ने कहा, ’नहीं, मैं भेड़ हूँ। शेर ने फिर कहा, ’नहीं, तू शेर है। शेर के बच्चे ने फिर कहा, ’नहीं मैं भेड़ हूँ। उस शेर ने कहा, मेरे साथ नदी पर चल। जब नदी के किनारे पर गये, पानी में अपनी और बच्चे की शक्ल दिखाकर कहा कि देख तेरी और मेरी शक्ल एक जैसी है । शेर का बच्चा कहने लगा, ’हाँ ! फिर शेर कहता है, ’मैं गरजता हूँ, तू भी गरज। शेर गरजा, साथ ही शेर का बच्चा भी गरजा। नतीजा यह हुआ कि भेड़ें भी भाग गयीं और पाली भी भाग गया।
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असल बात क्या है? यह रूह अमरे-रब्बी है, कुलमालिक की अंश है। यह ब्रह्म के वश में आयी हुई है, ब्रह्म से तुरिया पद के मालिक ’निरंजन’ के वश में और तुरिया पद के मालिक निरंजन ने इसे मन के वश मे कर दिया है। यह जो इंद्रियाँ हैं, भेड़ें हैं। पाली कौन है? मन है। मन ने इंद्रियों द्वारा इसे भ्रम में डाल रखा है। जब कभी इसको कोई गुरु मिला, उसने कहा, तू आत्मा है और परमात्मा की अंश है। तू अंदर जाकर अपने आप को पहचान और परख। और वह अपने आप को पहचान लेती है और मन और इंद्रियों से मुक्त हो जाती है।
* राधा स्वामी जी *
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