एक राजा के पास दो भिखारी प्रतिदिन भिक्षा लेने आते थे. राजा दोनों को एक सी भिक्षा देता था. एक भिखारी कहता,” सब राजा जी की कृपा हैं “
दूसरा कहता, “सब ईश्वर की कृपा है “
राजा को बहुत अटपटा लगता कि दान मैं देता हूं कृपा ईश्वर की कहता है .लेकिन ईश्वर से तो अब प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता था.
एक दिन राजा सोचता है कि,जो भिखारी कहता है, “राजा जी की कृपा है”.मैं चुपचाप उसकी मदद कर दूंगा. क्योंकि दोनों इकट्ठे आते हैं, इसलिए भिक्षा तो एक सी ही देनी पड़ेगी ? अगर एक को ज्यादा दी तो मेरा नाम खराब होगा. लोग कहेंगे राजा पक्षपात करता है.
अगले दिन राजा ने दोनों को एक सा दान दिया ,लेकिन जो भिखारी कहता ,”राजा जी की कृपा है “.उस भिखारी को राजा कहता है कि तुम आज उस मार्ग से जाओ जिससे मैं रोज जाता हूं.
जब वह भिखारी इस बाग से निकल रहा था तो वहां के फूलों की सुगंध बाग की साफ-सफाई देखकर मंत्रमुग्ध हो गयावह सोचने लगा कि इतना स्वच्छ मार्ग है .क्यों ना मैं आंख बंद करके जाऊं ? ताकि मैं फूलों की सुगंध अच्छे से महसूस कर सकूं.
अगले दिन जब फिर से भीख मांगने आता है तो राजा जी हैरान हो जाते हैं. राजा उससे पूछते हैं ,”तुमने कल बाग में क्या-क्या देखा? “. वह कहता है कि वहां की साफ-सफाई और फूलों की खुशबू के कारण आधा रास्ता तो मैंने अपनी आंखें बंद करके पार कर लिया था ताकि मैं फूलों की खुशबू महसूस कर सकूं.
राजा जी समझ जाते हैं कि रास्ते में रखी सोने की मोहरे तो इस ने आंख बंद होने के कारण देखी ही नहीं है. फिर भी राजा हार नहीं मानता. अगले दिन दोनों को अलग- अलग समय पर बुलाता है .जो भिखारी कहता था,”राजा जी की कृपा है”. उसे पहले बुलाकर एक तरबूज देता है और दूसरे भिखारी को रोज की तरह जितनी भिक्षा देनी होती है उससे एक सिक्का ज्यादा देता है.
भिखारी अगले दिन फिर से राजा के पास भीख मांगने आ जाता है . राजा उससे पूछते हैं “तरबूज मीठा था”. भिखारी हाँ कह देता है.लेकिन राजा समझ जाता है कि तरबूज तो इस ने काटा ही नहीं है .लेकिन उस दिन दूसरा भिखारी आता ही नहीं. राजा अपने सेवक से कहता है कि पता करके आओ कि वह क्यों नहीं आया? उससे कहना कि मैंने बुलाया है .भिखारी अगले दिन अच्छे कपड़ों में राजा के पास आया .उसने राजा को प्रणाम किया और कहा, “सब ईश्वर की कृपा है”
राजा पूछते हैं तुम भीख मांगने क्यों नहीं आते .उसने बताया कि जब आखिरी बार वह भीख मांगने आया था . तब आपने मुझे एक सिक्का ज्यादा दिया था.मैंने सोचा कि चलो बच्चों के लिए फल लेता जाऊं.
तब फल वाले ने एक बड़ा सा तरबूज सस्ते में दे दिया. उस ने बताया कि कोई लडका उसे उसे बेच गया है .लेकिन उस ने बाद में देखा कि तरबूज बीच में से थोड़ा कटा हुआ था. कोई अच्छा ग्राहक इसे नहीं खरीदेगा. इस लिए उसने मुझे सस्ते में दे दिया. राजा समझ गया कि जो तरबूज मैंने उस लड़के को दिया था वो उस ने बेच दिया.भिखारी ने आगे बताया कि जब, “उसने तरबूज घर जाकर काटा तो उसमें से सोने के सिक्के निकल आए “. उससे मैंने अपना घर ,दुकान बच्चों और अपने लिए सुविधा का सामान खरीद लिया .”सब ईश्वर की कृपा है” उस दिन राजा का घमंड चूर चूर हो गया. जिसे मैं चाह कर भी अमीर ना बना सका.उसे ईश्वर ने एक झटके में अमीर बना दिया.उस दिन के बाद राजा भी मान गया कि, ” ईश्वर की कृपा” के बिना राजा भी किसी का नसीब नहीं बदल सकता.