ज्ञान मुद्राः-
नमस्कार मित्रो जैसा कि मैने अपने पहले चैपटर ( हस्त मुद्रा विज्ञान ) में बताया हैं की 20 तरह की मुद्राएँ जो हमारे शरीर के लिए उपयोगी है। उनमें सेे एक मुद्रा है ज्ञान मुद्रा इस मुद्रा को ध्यान मुद्रा और शिरोमणि मुद्रा भी कहा जाता है। यह मुद्रा स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, तनाव को दूर करने और पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सहायक है।
वायु तत्व में वृद्धिः-
ज्योतिष के अनुसार हमारा अंगूठा मंगल ग्रह का प्रतीक है और तर्जनी अंगुली बृहस्पति का प्रतीक होता है। हमारा अंगूठा अग्नि तत्व का प्रतीक है और तर्जनी अंगुली वायु तत्व का प्रतीक है। जब ये दोनों तत्व आपस में मिलने से वायु तत्व में वृद्धि होती है जिसके कारण बृहस्पति का प्रभाव बढ़ता है।
चेतना का विकासः-
चेतना का एक बहुत ही खास और महत्वपूर्ण गुण है-ज्ञान।जिसके अंदर ज्ञान होता है वह जिंदा कहलाता है और जिसमें ज्ञान नहीें होता है वह निर्जीव कहलाता है। ज्ञान के द्वारा ही हम बता सकते हैं कि किसी चीज में प्राण है और किस चीज में नहीं। किसी व्यक्ति के अंदर अगर सब चीजों का पूरी तरह ज्ञान हो तो वह साधरण व्यक्ति से एक दम असाधारण व्यक्ति बन जाता है।
जाग्रत आवस्थाः-
योग में ज्ञानमुद्रा को इसलिए शक्तिशाली कहा गया है क्योंकि यह मुद्रा आपकी तंद्रा को तोड़ती है। हाथों की ग्रंथियों का संबंध सीधे हमारे मस्तिष्क से होता है। दाएँ हाथ का संबंध बाएँ और बाएँ हाथ का संबंध दाएँ मस्तिष्क से माना जाता है। ज्ञानमुद्रा से मस्तिष्क के सोए हुए तंतु जाग्रत होकर मानव के होश को बढ़ाते है।
ज्ञान मुद्रा कैसे बनती हैः-

सबसे पहले सुखासन या पद्मासन में बैठ जाए, अपने हाथ की तर्जनी शीर्ष और अंगुठे के अग्रभाग ( tip ) को मिलाएं, बाकी तीनों उंगलियां बिल्कुल सीधी रखें और अपनी हथेलियों को घुटनों पर रख लें। हथेलियों की दिशा ऊपर की ओर रहे। अब अपनी सांसो पर ध्यार दें सांसो को सामान्य गति से चलने दे। ध्यान रहें कि कमर बिलकुल सीधी रहें अगर बैठने में कोई दिक्कत है तो आप कुर्सी पर भी बैठ कर ज्ञान मुद्रा का अभ्यास कर सकते है। इसे रोज आना 15 से 45 मिनट तक अवश्य करें।
ज्ञान मुद्रा से होने वाले लाभ:-
1 :- स्मरण शक्ति का विकास होता है।
2 :- मन एकाग्र होता है। चिड़-चिड़ापन, एवं क्रोध शान्त होता है।
3 :-तनाव दूर होता हैै। तनाव से होने वाले रोग जैसे-रक्तचाप, हृदय रोग, सिरदर्द माइग्रेन आदि में लाभ मिलता हैं।
4 :- अनिद्रा रोग में लाभकारी है।
5 :- इस मुद्रा से दांत दर्द, त्वचा रोग शान्त होते है। चेहरे की आभा बढ़ती है।
6 :- इसके अभ्यास से एकाग्रता में विकास होता है।
7 :- नशा छुड़ाने में सहायक है।
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