{ बादशाह का खाली हाथ }
महमूद गजवनी ने हिंदुस्तान पर सत्रह हमले किये और बहुत-सा धन-दौलत, सोना-चाँदी, हीरे-जवाहरात लूटकर गजनी ले गया। वह तुर्क था और उसके पूर्वज मध्य एशिया से आये थे। आज गजनी अफगानिस्तान में एक छोटा सा गाँव है पर महमूद गजनवी के समय शायद यह एशिया का सबसे धनी शहर था।
आखिर जब मौत का वक्त आया तो वह शक्तिशाली और जालिम हाकिम सोचने लगा कि इतने माल का क्या करूँ? सोचकर हुक्म दिया कि सारा माल निकालकर बाहर सजाया जाये। जब वह सजाया गया तो कई मीलों में फैल गया। कई घंटों तक वह सोने के सिक्कों, हीरों, मणियों, पन्नों, मूर्तियों, जिन पर अदभुत तरह का काम कया हुआ था, सुक्ष्म आकार के चित्रों और ऐसी बहुत सी और अनमोल वस्तुओं के ढेरों को देखता रहा।
ये सब देखकर वह रो पड़ा। बोला कि आह! इस दौलत के लिए मैंने करोड़ों बच्चे यतीम किये, लाखों औरतें विधवा कीं, लाखों बेगुनाह जवानों का कत्ल किया लेकिन अब ये मेरे साथ नहीं जा सकतीं। अपने अहलकारों को हुक्म दिया कि मेरे दोनों हाथ कफन से बाहर निकाल देना ताकि दुनिया को पता चले कि मैं इस जहान से खाली हाथ जा रहा हूँ।
आखिरी वक्त दुनिया की कोई चीज साथ नहीं जाती।