* मजनू एक या सैंकड़ों *
मजनू लैला का आशिक था। लैला का बाप बादशाह था। उसने लैला की खुशी के ख्याल से हुक्म दिया कि मजनू जिस दुकान से मिठाई खाये, कपड़ा ले, पैसा ले या कोई और चीज ले उसका हिसाब मैं दूगा। जब लोगों ने सुना कि जिस दुकानदार से जो मरजी चीज ले लो, तो एक मजनू की जगह कई मजनू हो गये और हर रोज बढ़ने लगे। लगा शहर उजड़ने। आखिर लोगों ने बादशाह से जाकर पूछा कि मजनू एक है कि बहुत सारे ? राजा ने कहा कि मजनू तो एक ही है। फिर कहा कि मैं लैला को बुला कर पूछता हूँ। जब लैला को बुला कर पूछा कि मजनू एक है कि बहुत सारे! तब उसने जवाब दिया कि मजनू एक ही है। बादशाह बोला, ‘उधर तो सारा शहर लुटा जा रहा है और तू कहती है कि मजनू एक ही है!‘ आखिर बादशाह ने पूछा कि इसका कोई इलाज है ? लैला ने कहा कि मैं कल बता दूँगी। दुकानदार चले गये।
दूसरे दिन लैला के कहने पर बादशाह ने ढ़िढ़ोरा पिटवा दिया कि मजनू के जिगर का गौश्त लैला को चाहिये, मेरा जल्लाद आयेगा, आकर ले जायेगा। यह सुनना था कि सब मजनू भाग गये, एक रह गया। उससे कहा गया कि अपने जिगर का गोश्त दे। उसने झट शरीर पर से कपड़ा हटा करके कहा कि जितना मरजी है ले लो। लैला ने बादशाह से कहा कि यह मजनू है।
सो खाने-पीने को तो बहुत प्रेमी बन जाते हैं, लेकिन जब इम्तिहान होता है तो फेल हो जाते हैं।