एक महात्मा एक दुकान पर खड़ा था। कुछ ख़याल आया। मन से बोला कि तेरी तारीफ सुनी है, कुछ अपनी करतूत तो दिखा! क्हता है, देखना है ? एक मनुष्य शहद बेच रहा था। उसकी मटकी से उंगली भर कर एक दीवार पर शहद लगा दिया। शहद लगाने की देर थी कि उसकी खुशबू पाकर एक मक्खी आ बैठी और आँखे बन्द करके शहद खाने लगी। अभी शहद खा रही थी कि एक छिपकली ने देखा कि यह तो मेरा शिकार है। उसने छलांग लगाई और मक्खी को शहद समेत खा गई।
उस दुकानदार ने बड़े प्यार से एक बिल्ली पाल रखी थी। बिल्ली छिपकली पर झपटी और उसको एक बार में खा गई। पास ही एक ग्राहक का कुत्ता खड़ा था, उसने बिल्ली पर हमला करके उसको चीर-फाड़ डाला। दुकानदार को गुस्सा आया, उसने अपने नौकरों से कहा मारो कुत्ते को। उन्होंने डण्डे मार कर कुत्ते को मार डाला। ग्राहक को इसका दुःख हुआ। उसने दुकानदार को गाली निकाली। गाली निकालने की देर थी कि दोनें आपस में जूतों से लड़ने लगे। खूब लड़ाई हुई, तो मन ने उस महात्मा से कहा, ये मेरे खेल हैं, ये मेरे धोखे हैं।