शून्य मुद्रा बनाए शरीर का संतुलन
शून्य का अर्थ होता है आकाश। आकाश खुलेपन, स्वतंत्रता, विस्तार एवं प्राकृतिक ध्वनि का प्रतीक है। आकाश तत्व ना सिर्फ कान बल्कि कान से जुड़े सभी अंगो को प्रभावित करता है। ये मुद्रा हमारे शरीर के अन्दर के तत्वों में संतुलन बनाये रखती है। यह मुद्रा शरीर के अन्दर के अग्नि तत्वों को संचालित करती है। शरीर में आकाश तत्व की अधिकता कई प्रकार की बीमारियों का कारण बनती है। जैसे हृदय की कमजोरी, सिरदर्द या चक्कर, कान की समस्या आदि।
कान के लिए लाभदायक :-
शून्य मुद्रा करने से कानों से जुड़ी समस्याओं जैसे कान का बजना, कान का दर्द, सुनने में कमी आना, कानों का बहना आदि में आराम मिलता है। जब कान बहते हो तो डाॅक्टर कानों में रूई डालकर कान बंद कर देते है। शून्य मुद्रा ठीेक यही काम करती है।
मस्तिष्क और सुन्नता में लाभ :-
शून्य मुद्रा का सबसे गहरा प्रभाव मस्तिष्क की कोशिकाओं पर पड़ता है। मस्तिष्क की कोशिकाओं को यदि अक्सीजन की प्रचुर मात्रा ना मिले या रक्त प्रवाह में यदि कोई रुकावट होती है तो उसे दूर कर संतुलित करती है। शरीर के किसी भी हिस्से में सुन्नता होती होे तो यह मुद्रा विशेष लाभ प्रदान करती है।
नौ तरह की मुद्रा से करे शरीर को स्वस्थ :-
तनाव को कम करती है :-
शून्य मुद्रा में बीच वाली उंगुली ( मध्यमा उंगुली ) दवाब दिया जाता है। जिससे तनाव दूर होता है यानी तनाव को दूर करने में और एकाग्रता बढ़ाने में यह मुद्रा सहायक है। आकाश तत्व के असंतुलन से स्वभाव उग्र, अशांत, जिददी तथा कम एकाग्र हो जाता है। इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से सब समान्य हो जाता हैं।
थायराॅइड की समस्या :-
शून्य मुद्रा के अभ्यास से श्वास प्रक्रिया प्रभावित होती है। जिसके कारण गले के रोग जैसे थायराॅइड, गले में होने वाली खरास को दूर करने के अलावा यह हाॅर्मोन का बैलेंस करने में भी अहम भूमिका निभाति है। आवाज़ का बदलना आदि समस्याओं को दूर करती हैं।
शून्य मुद्रा कैसे बनती है:-
मध्यमा उंगली को मोडकर अंगूठे के मूल में लगा कर अंगूठे से दबाएं। बाकी तीनो अंगुलियां सीधी रखने से शून्य मुद्रा बनती है।
शून्य मुद्रा से लाभ :-
1 :- इसके नियमित अभ्यास से इच्छा शक्ति मजबूत होती है।
2:- इसे करने से हडडियां मजबूत होती है।
3 :- यह मुद्रा मानसिक तनाव को कम करती है।
4 :- इसको करने से एकाग्रता बढ़ती है।
5 :- इसे करने से शरीर से आलस कम होता है।
6 :- गले और थायराॅयड जैसे विकार के लिए यह मुद्रा बहुत उपयोगी है।
कब ना करें
* शून्य मुद्रा को भोजन करने तुरंत पहले या बाद में नहीं करना चाहिए।
* यदी आप की पीठ में दर्द या कोई चोट लगी है तो इस मुद्रा को ना करें।
* यदी आप शरीर में काफी कमजोरी महसूस कर रहे है तो इस मुद्रा को ना करें।
* शून्य मुद्रा को हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए।
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